राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में शामिल है अलवर स्थित मूसी महारानी की छतरी, लगती है पर्यटकों की भीड़

By: Geeta Fri, 19 May 2023 3:46:58

राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में शामिल है अलवर स्थित मूसी महारानी की छतरी, लगती है पर्यटकों की भीड़

मूसी महारानी की छतरी, अलवर के मुख्य महल के बाहर स्थित राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। यह सुंदर सेनोटाफ राजा और रानी की कब्र को आश्रय देता है, जो संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से मिलकर बनी अद्भुत संरचना है। अरावली पहाडिय़ों की पृष्ठभूमि में स्थापित यह दो मंजिला संरचना सूर्यास्त के दौरान और अधिक आकर्षक लगती है। अपनी इसी आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध मूसी महारानी की छतरी पर्यटकों ओर इतिहास प्रेमियों के घूमने के लिए अलवर की आकर्षक जगहों में से एक है जो प्रतिबर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक को अपनी और आकर्षित करती है।

इतिहास प्रेमियों के साथ साथ मूसी महारानी की छतरी पर्यटकों और कपल्स के लिए भी खास जगह है जहाँ आप अपनी फैमली या प्रेमी के साथ एकांत में टाइम स्पेंड कर सकते है साथ यहाँ से सूर्यास्त के अद्भुत दृश्यों को देख सकते हैं।

moosi maharani ki chhatri,cenotaph in alwar,beautiful architectural marvel,historical monument in alwar,moosi maharani ki chhatri alwar,alwar tourist attractions,heritage site in alwar,cultural significance of moosi maharani ki chhatri,alwar sightseeing,cenotaphs of rajasthan,architectural splendor in alwar,moosi maharani ki chhatri history,exploring alwar cenotaphs,must-visit places in alwar,moosi maharani ki chhatri architecture,alwar travel guide,alwar vacation destination,discovering the beauty of moosi maharani ki chhatri,alwar historical sites,captivating cenotaph in alwar

मूसी महारानी की छतरी का इतिहास

मूसी महारानी की छतरी का इतिहास आज से लगभग 200 साल से भी जाड्या पुराना है। मूसी महारानी की छतरी का निर्माण विनय सिंह ने 1815 में महाराजा बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसि की स्मृति के रूप में करवाया था। अरावली पर्वत पर बने बाला किले जाने के मुख्य रास्ते पर शहर के सागर (तालाब) के पास रियासत काल में बनी मूसी महारानी की छतरी (स्मारक) अलवर के मुख्य पर्यटन स्थलों में शामिल है। इसके अलावा यह शहरवासियों की आस्था का केंद्र भी है। मान्यता है कि यहाँ बने मूसी महारानी और राजा बख्तावर सिंह के पगलियों (पदचिह्न) को पानी से धोकर अगर उस पानी को शरीर पर लगाया जाए तो बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। पहाड़ की तलहटी में बने इस स्मारक के पास ही सागर है, जहां रियासतकाल में राजा नौका विहार करते थे। हालांकि बहुत से लोगों को ये नहीं पता कि आखिर मूसी महारानी कौन थीं और वे राजपरिवार का हिस्सा कैसे बनीं।

moosi maharani ki chhatri,cenotaph in alwar,beautiful architectural marvel,historical monument in alwar,moosi maharani ki chhatri alwar,alwar tourist attractions,heritage site in alwar,cultural significance of moosi maharani ki chhatri,alwar sightseeing,cenotaphs of rajasthan,architectural splendor in alwar,moosi maharani ki chhatri history,exploring alwar cenotaphs,must-visit places in alwar,moosi maharani ki chhatri architecture,alwar travel guide,alwar vacation destination,discovering the beauty of moosi maharani ki chhatri,alwar historical sites,captivating cenotaph in alwar

मूसी महारानी की ऐसे हुई राजपरिवार में एंट्री

राजपरिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि जिले नौगांवा के पास स्थित रघुनाथगढ़ में रियासतकाल के दौरान ग्रामीणों में एक विवाद हुआ था। विवाद की वजह मूसी महारानी व उनकी मां थी। इसके बाद राजा के सैनिक मूसी व उनकी मां को अलवर लेकर आए। हालांकि उस समय मूसी महारानी की उम्र काफी कम थी, लेकिन वे बहुत सुंदर थीं। यहां मूसी व उनकी मां को गाने-बजाने का कार्य दिया गया, जो विभिन्न अवसरों पर राजदरबार में नृत्य व गायन की प्रस्तुतियाँ देती थीं। जब मूसी बड़ी हुईं तो महाराज बख्तावर सिंह ने उनसे विवाह कर लिया। हालांकि दोनों की उम्र में काफी अंतर था। कालांतर में महाराजा की मौत हो जाने पर मूसी महारानी उनकी चिता पर लेटकर सती हो गईं।

moosi maharani ki chhatri,cenotaph in alwar,beautiful architectural marvel,historical monument in alwar,moosi maharani ki chhatri alwar,alwar tourist attractions,heritage site in alwar,cultural significance of moosi maharani ki chhatri,alwar sightseeing,cenotaphs of rajasthan,architectural splendor in alwar,moosi maharani ki chhatri history,exploring alwar cenotaphs,must-visit places in alwar,moosi maharani ki chhatri architecture,alwar travel guide,alwar vacation destination,discovering the beauty of moosi maharani ki chhatri,alwar historical sites,captivating cenotaph in alwar

मूसी महारानी की छतरी की वास्तुकला

मूसी महारानी की छतरी अलवर की शानदार और खूबसूरत सरंचना है जो फूल के आकार की है जिसे भूरे बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर के मिश्रण के साथ बनाया गया है। मूसी महारानी की छतरी की पहली मंजिल को बलुआ पत्थर और ऊपरी मंजिला और छतरी (सेनोटाफ) सफेद संगमरमर में बनाया गया है। जबकि ईमारत की आंतरिक छत को कुछ सुंदर पौराणिक चित्रों और भित्तिचित्रों से सजाया गया है।

मूसी महारानी की छतरी वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इसके आंतरिक भाग की छत को सुंदर पौराणिक चित्रों से सजाया गया है। इस स्मारक की विशेषता है कि पूरी छतरी बलुआ पत्थर के स्तम्भों पर टिकी हुई है। सूर्यास्त के समय इस दो मंजिला इमारत की खूबसूरती और बढ़ जाती है। स्मारक के ऊपरी भाग में चबूतरे पर राजा व रानी के पदचिन्ह बनाए गए हैं। मूसी महारानी की छतरी को महाराजा बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसी की याद में उस समय के राजा विनय सिंह ने बनवाया था। कहा जाता है कि मूसी महारानी महाराज से उम्र में काफी छोटी थीं, जो महाराज बख्तावर सिंह की चिता पर सती हो गई थीं। छतरी के ऊपरी भाग में कृष्ण लीला के भाव और महाराज बख्तावर सिंह का हाथी पर सवारी का चित्रण किया गया है। जबकि छतरी को रंग-बिरंगे कलाकृतियों से सजाया गया है।

moosi maharani ki chhatri,cenotaph in alwar,beautiful architectural marvel,historical monument in alwar,moosi maharani ki chhatri alwar,alwar tourist attractions,heritage site in alwar,cultural significance of moosi maharani ki chhatri,alwar sightseeing,cenotaphs of rajasthan,architectural splendor in alwar,moosi maharani ki chhatri history,exploring alwar cenotaphs,must-visit places in alwar,moosi maharani ki chhatri architecture,alwar travel guide,alwar vacation destination,discovering the beauty of moosi maharani ki chhatri,alwar historical sites,captivating cenotaph in alwar

मूसी महारानी की छतरी की टाइमिंग

बता दे वैसे तो मूसी महारानी की छतरी 24 घंटे खुली रहती है लेकिन पर्यटकों के घूमने के लिए समय प्रतिदिन सुबह 9.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक का होता है।

मूसी महारानी की छतरी का प्रवेश शुल्क

मूसी महारानी की छतरी घूमने जाने वाले पर्यटकों को बता दे मूसी महारानी की छतरी में प्रवेश और यहाँ घूमने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नही है यहाँ आप बिना किसी शुल्क का भुगतना किये अपनी फैमली, फ्रेंड्स या अपने कपल के साथ घूम सकते है।

moosi maharani ki chhatri,cenotaph in alwar,beautiful architectural marvel,historical monument in alwar,moosi maharani ki chhatri alwar,alwar tourist attractions,heritage site in alwar,cultural significance of moosi maharani ki chhatri,alwar sightseeing,cenotaphs of rajasthan,architectural splendor in alwar,moosi maharani ki chhatri history,exploring alwar cenotaphs,must-visit places in alwar,moosi maharani ki chhatri architecture,alwar travel guide,alwar vacation destination,discovering the beauty of moosi maharani ki chhatri,alwar historical sites,captivating cenotaph in alwar

मूसी महारानी की छतरी के आसपास घूमने की जगहें

अलवर राजस्थान का एक प्रमुख शहर और पर्यटक स्थल है मूसी महारानी की छतरी के साथ साथ अन्य पर्यटक स्थल और मंदिरों के लिए फेमस है जिन्हें आप मूसी महारानी की छतरी की यात्रा के दौरान टाइम बचने पर घूमने जा सकते है—

भानगढ़ का किला, सिटी पैलेस, नीमराणा की बावड़ी, विजय मंदिर महल, नारायणी माता मंदिर, पांडुपोल हनुमान मंदिर, भर्तृहरि मंदिर, तिजारा जैन मंदिर, नीलकंठ मंदिर, मोती डूंगरी, सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान, नीमराना फोर्ट, केसरोली, अलवर सिलीसेढ़ झील, पैलेस म्यूजियम।

मूसी महारानी की छतरी घूमने जाने का सबसे अच्छा समय

मूसी महारानी की छतरी और इसके आसपास के पर्यटकों स्थलों की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च के महीने सबसे अच्छे होते हैं क्योंकि इस दौरान यहाँ का तापमान काफी कम और मौसम ठंडा होता है। इसके विपरीत गर्मियों में चिलचिलाती धूप के साथ तापमान काफी बढ़ जाता है इसीलिए इस दौरान अलवर की यात्रा से बचना बेहतर है।

अब यहां होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम

मूसी महारानी की छतरी के अलवर के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल होने के कारण दुनियाभर के पर्यटक यहाँ की वास्तुकला को देखने आते हैं। ऐतिहासिक सागर के पास निर्मित इस स्मारक पर पर्यटन विभाग एवं प्रशासन की ओर से विभिन्न आयोजन कराए जाते रहे हैं। जबकि मत्स्य उत्सव में भी यहां सांस्कतिक कार्यक्रम होते हैं।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com